इलायची


   हमारे देश में हर गृहिणी के पास इलायची होती है। यह पारंपरिक रूप से एक सुगंधित मसाला पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है। इलायची का अधिकतम उपयोग हम विभिन्न फसल व्यंजनों के साथ-साथ कन्फेक्शनरी और अन्य व्यंजनों में भी करते हैं। इलायची का उपयोग देशी और विदेशी दोनों तरह की दवाओं में किया जाता है। इसके प्रयोग से भोजन सुगन्धित, सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है।

       हमें वहां इलायची की दो किस्में मिलती हैं। सफेद पौधे से थोड़ी बड़ी इलायची, जबकि दूसरे हरे पौधे से छोटी इलायची, हरी इलायची अधिक सुगंधित और स्वास्थ्यवर्धक होती है। इलायची के छिलके का उपयोग केवल बीज के रूप में किया जाता है। इसके पत्तों को चाय-दूध में डालने से यह सुगंधित और मज़ेदार बनता है। पके केले से होने वाले अपच को ठीक करने के लिए इलायची का उपयोग किया जाता है। यानी पके केले को खाते समय घी-इलायची पाउडर मिलाकर खाया जाता है


 गुण:

आयुर्वेद के अनुसार इलायची का स्वाद मीठा, तीखा, पाचन के बाद तीखा, ठण्डा, स्वादिष्ट, सुगन्धित हलका, खुजलीदार, सर्दी, पित्त (थोड़ा सा) सर्दी और पेट फूलना, खांसी, सांस की तकलीफ, खांसी, बवासीर और मूत्र प्रतिधारण को ठीक करता है। मुंह, खोपड़ी को शुद्ध करता है। अगर गर्भवती महिला ज्यादा खाती है तो गर्भपात हो जाता है। और क्षय रोग, विष, मूत्राशय के रोग, स्वरयंत्रशोथ, मूत्र असंयम, पथरी, व्रण, खुजली को नष्ट करता है।

बड़ी इलायची मीठी, गुनगुनी, स्वादिष्ट, ठण्डी और पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली होती है। वो कफ,अस्थमा, पित्त, एक्जिमा, रक्त के थक्के, खांसी, हृदय रोग, विषाक्तता, उल्टी को ठीक करता है। यह वह पाउडर है जिसे खाया जाता है

यह भ्रम को दूर करता है और मन को ठीक करता है। चमक अधिक होती है। डर्मेटाइटिस को ठीक करता है। यह जिगर की सूजन, यकृत दोष और मासिक धर्म के लिए फायदेमंद है। 



  • पेट का दर्द: इलायची, हींग, जवाखर और सेंधा नमक का चूर्ण पानी के साथ लेने से पेट का दर्द दूर होता है। 
  • पुराना बुखार : रात को पानी में इलायची-2 और काली मिर्च भिगो दें।  इसके बाद इसी तरह पानी को छानकर दिन में दो बार पीएं, तो पुराना बुखार गायब हो जाएगा। 
  • धातु की पुष्टि के लिए : इलायची, चीनी, दूध या इलायची, चीनी, घी के साथ चाटकर 1 सुखा लें। इसलिए पुरुषों के वीर्य में वृद्धि होगी  अथवा 25 ग्राम बादाम, 10 ग्राम जावन्त्री, 10 ग्राम शहद, 10 ग्राम इलायची और उसका चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करें। 
  • अंधापन : छोटी इलायची का तेल आंखों में लगाने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
  • पुराना ज्वर : कालामारी पाउडर और इलायची पाउडर मिलाकर चाटना। इसके बहुत सारे अच्छे फायदे हैं।
  • खांसी : खांसी में छोटी इलायची खाने से लाभ होता है। इससे अस्थमा में भी फायदा होता है।
  • हिचकी : छोटी इलाइची चूसने से लाभ होता है।
  • सिर दर्द : एक कटोरी गुलाब जल में इलायची का चूर्ण माथे पर लगाने से रोग ठीक हो जाता है। इसे सूंघने से भी इस रोग में बहुत लाभ होता है। 
  • प्यास : एक गिलास पानी में 12 इलायची के छिलके उबाल लें, आधा पानी रह जाने पर इसे 4 भागों में बांटकर 4  बार  2-2  घंटे के अंतराल पर बार पियें। किसी रोग के प्यासे हो तो बुझ जाते हैं। 
  • मसूढ़ों को मजबूत बनाना: एक स्क्वैश छीलें, इसे कद्दूकस कर लें और रस को मसूड़ों पर निचोड़ लें।
  • पाचन शक्ति: बड़ी इलायची के बीज जीरा और जीरा के साथ लेकर चूर्ण बनाकर रख लें और भोजन के बाद 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पनि के साथ सेवन करें।
  • हिचकी: 2 ग्राम बड़ी इलायची के दानों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। शहद और चीनी या सारक पाउडर मिलाएं। इस चूर्ण को दिन में 1-2 बार पानी के साथ लेने से हिचकी ठीक हो जाती है।
  • उल्टी : इलायची की भूसी को जलाकर जले हुए शहद के साथ लेने से उल्टी और जी मिचलाना बंद हो जाता है।
  • मूत्र असंयम : इलायची के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से मूत्र असंयम ठीक हो जाता है।
  • धातु की पुष्टि के लिए : दूध में इलायची चीनी लें या इलायची चीनी को घी के साथ चाटें। इसलिए वीर्य में वृद्धि होने पर पुरुषों को 2 ग्राम बादाम, 10 ग्राम जावन्त्री, 10 ग्राम इलायची एक कटोरी में 3 ग्राम मक्खन के साथ लेना चाहिए।
  • मूत्र में धातुकर्म : इलायची और धीमी भुनी हींग का चूर्ण सुबह-शाम सेवन और दूध के साथ करें।
  • कफरोग : इलायची - सिंधव चूर्ण को शहद और घी के साथ चाटने से खांसी ठीक हो जाती है
  • खांसी: रोग और खजूर से चीनी बनती है, चटनी और इलायची का सेवन प्रतिदिन करने से रोग ठीक हो जाता है।
  • दैनिक सूजन : आंवला चूर्ण, चीनी और इलायची के चूर्ण को पानी या घी में मिलाकर शरीर की सूजन, पेशाब की सूजन और अंगों की सूजन के लिए लिया जाता है। 
  • हृदय रोग : 2 ग्राम इलायची और लाल शिमला मिर्च की जड़ को 2 ग्राम सुबह-शाम शहद या घी के साथ चाटने से हृदय रोग और दिल का दर्द दूर हो जाता है।
  • स्वप्नदोष : 10 ग्राम इसबगुल को आंवले के रस में भिगोकर उसमें 10 ग्राम इलायची का चूर्ण मिलाकर 1/2 गोली चनबोर की बड़ी गोलियों के साथ रोजाना दूध या पानी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिलता है।
  • मूत्र प्रतिधारण:
(1) पथरी का अंतर 10 ग्राम, इलायची  के बीज 10  ग्राम,सुरोखर 10 ग्राम का चिकना चूर्ण बना ले इस औषधि की 1 ग्राम सुबह के पानी के साथ सेवन करने से दवा बाहर निकल  जाती है।

(2) इलायची के बीज और अदरक के अंत में विषैला प्रभाव  लेकर सिंधव को दही के उबले हुए पानी में डालकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।

(3) इलायची के दानों के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटना।
  • शिलासो : इलायची पाउडर में 25 ग्राम, सोनागेरु 20 ग्राम, जावखर 60 ग्राम सभी चीजों को गारे और मूसल में पीसकर 3-3 ग्राम सुबह रक्त शोधन और जल के साथ सेवन करें। 

नोट:

(1) इलायची का प्रयोग रात में जितना हो सके उतना कम यकम  से कम रोजाना पीकर करें

(2) गर्भवती महिला को इसका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए

(3) यदि इसे खाने से कष्ट होता है तो गुलाब के फूल का सेवन करें।