पोस्ता



हमारी बहनों को अपने रसोई घर में खसखस ​​रखना चाहिए। खसखस का फसल, व्यंजन, लड्डू, शीरो आदि में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। खसखस का प्रयोग विशेष रूप से शारीरिक कमजोरी दूर करने, वीर्य को पुष्ट करने और बढ़ाने के लिए किया जाता है। मिठाई के साथ-साथ पौष्टिक फसल के रूप में उपयोग किया जाता है। 

 गुण: 

आयुर्वेद के अनुसार, खसखस ​​स्वाद में मीठा, पाचन में बहुत भारी, शक्ति देने वाला, भूख बढ़ाने वाला, पाचन के बाद मीठा, शीतोष्ण, वीर्य युक्त, दस्त रोकने वाला और पेट फूलना कम करने वाला माना गया है।

लोग इसका इस्तेमाल कमजोर चमड़ी वाले बच्चों के साथ-साथ पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए करते हैं और सर्दियों में खाना पकाने में भी इसका इस्तेमाल पूरे साल हवा को स्वस्थ रखने के लिए करते हैं। इस प्रकार यह एक मूल्यवान जड़ी बूटी है, भले ही यह रसोई का सामान हो।


  • पतलापन : खसखस ​​और गुड़ को आवश्यक मात्रा में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोज खाने के बाद 2 से 3 गोलियां  चबाकर खाने से शरीर की अशक्ति , पतलापन दूर होता है
  • दुरुणक रोग : (सिर की त्वचा सख्त सुख कर बालों के टूटने की समस्या )खसखस ​​हो दूध के साथ मिलकर उसका लेप बनाकर बालों में लगाने से लाभ होता है। 
  • दिमाग की कमजोरी : बादाम, इलायची, खसखस ​​और घी में भूनकर हलवा बनाकर खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है
  • अनिद्रा: 2-3 ग्राम खसखस ​​चीनी और शहद में या  चीनी और घी दूध की बनाई हुई खीर को रात के  सोते समय सेवन करेंने से अच्छी निद आती है । कसखस का लेप बनाकर माथे पर लगाने से भी लाभ होता है
  • दस्त : दही में खसखस ​​मिलाकर प्रतिदिन पीने से अतिसार, जी मिचलाना और अतिसार ठीक हो जाता है। यह दस्त को भी ठीक करता है जो तब होता है जब बच्चे के दांत में दर्द होता है। खसखस बनाकर खाएं।
  • पौष्टिक प्रयोग : 2 से 3 ग्राम खसखस ​​को चार चौथाई पानी में रात भर के लिए रख दें। सुबह एक कटोरी खसखस ​​उसी पानी के साथ लें। फिर इसे 100 से 200 दूध में डुबाकर चीनी मिलाकर हलवे की तरह उबाल लें। 20 से 30 दिनों तक सेवन करें। यह प्रयोग 50 ग्राम दूध में एक महीन कटोरी में खसखस, चारोली और संभग को मिलाकर शरीर को मजबूत बनाता है या हलवा बनाता है। यह प्रयोग पुरुषों के लिए बहुत उपयोगी है।